उत्तर - मृत्यु के समय सन्त सतगुरु उन सब जीवों को दर्शन देते हैं जिन्हें नामदान मिला हैं । धर्मराय के दरबार में जब फैसला होता है तो गुरु इस बात का निर्णय करते हैं कि इस जीवन को पुनः जनम देना है कि नहीं । जिन व्यक्तियों को नामदान मिल जाता है उनका लेखा नामदान के समय से ही सतगुरु के पास होता है |
काल पर उन पर कोई अधिकार नहीं रहता । संसार में वापिस जन्म लेना मन की कामनाओं पर निर्भर करता है | अगर जीव का सुझाव जड़ संसार के पदार्थों की ओर है और विश्वास की भी कमी है तो खास कर ऐसी हालत में आत्मा को दोबारा जनम लेना पड़ता है ।
Question:- Swami ji! How does Satguru take care of the soul at the time of death?
Answer - At the time of death, Saint Satguru appears to all those living beings who have received Namdaan. When a decision is taken in the court of Dharam Rai, the Guru decides whether to take birth again in this life or not. The accounts of the people who get Namdaan are with the Satguru from the time of Namdaan.
Time has no power over them. Taking birth back in this world depends on the desires of the mind. If the soul s inclination is towards the material things of the material world and there is also lack of faith, then especially in such a situation the soul has to be born again. |