उत्तर- तुम प्रगांढ़ वासना लेकर संसार में फसे हुए हो इसलिए ऐसा होता है । कभी शब्द सुनाई देता है तो कभी नहीं सुनाई देता । इसी प्रकार प्रकाश भी कभी दिखाई दिया कभी नहीं दिखाई दिया। जितना ही तुम दुनियां से उदास होंगे उतना ही वासनायें धराशायी होती चली ज़ाएंगी । दुनियाँ से उदासीनता और मालिक से मिलने के लिए प्रेम तड़प जरूरी है । जब लगन कम हुई तो भजन में भी कमी आ गई | दुनियाँ का चिन्तन और भजन दोनों का मेल नहीं खाता ।
संसार में चाहे जितना भी लगे रहो वह तुम्हारे काम आने वाला नहीं । काम बिगड़ गया तो दुख और दुनियाँ भी हंसती है । परमार्थ के रास्ते पर निर्मल होकर चलोगे तभी काम बनेगां जब जाने लगोगे तो सूई की नोक भी यहाँ से तुम नहीं ले जा सकते केवल भजन की पूंजी जो इकट्ठा की है वही साथ जाएगी | इसलिए भजन पर ध्यान दो वही सार है।
Swami ji! In meditation sometimes light is visible and sometimes not and in bhajan sometimes the word is heard and sometimes not..?
Answer: You are trapped in the world with intense desires, that is why this happens. Sometimes the word is heard and sometimes not. Similarly, light was sometimes visible and sometimes not visible. The more you become sad with the world, the more your desires will diminish. Indifference from the world and yearning for love is necessary to meet the Master. When the devotion decreased, the bhajan also decreased. The worldly thoughts and hymns do not match.
No matter how much you work in this world, it will not be of any use to you. When work goes wrong, you feel sad and the world also laughs. Only if you walk on the path of charity in a pure manner, your work will be done. When you start going, you cannot take even the tip of the needle from here. Only the capital that you have collected from Bhajan will go with you. Therefore pay attention to the bhajan, that is its essence. |