जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज से प्रेमियों द्वारा पूछे गए सवाल और उनके जबाव

प्रश्न:- स्वामी जी ! क्या धार्मिक पुस्तकों के पढ़ने से हमें ज्ञान प्राप्त नहीं हों सकता ?

Question:- Swami Ji ! Kya Dhaarmik Pustakon Ke Padhane Se Hamen Gyaan Praapt Nahin Hon Sakata ?...?

उत्तर - महात्माओं ने जो कुछ भी लिखा अनुभव किया है, साधना की है | एक मोटी वात | कृष्ण ने गीता बनाया गीता ने कृष्ण नहीं बनाया । गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण बनाया, रामायण ने गोस्वामी जी को नहीं बनाया। उसी प्रकार ब्रह्मा ने वेद बनाया , वेद ने ब्रह्मा को नहीं बनाया। इन ग्रन्थों में यह लिखा है कि उन तत्वदर्शी महात्माओं के पास जाओ जिनकी दिव्य आंख खुली है और ऊपर के दिव्य लोकों में नित्य आते जाते रहते हैं ।

वही तुम्हें सच्चा ज्ञान दे सकते हैं आत्मज्ञान दे सकते हैं, जीवात्मा की आँख को जिसे शिव नेत्र कहते हैं खोल सकते हैं । शिव नेत्र खुलने के बाद ही आध्यात्मिक पढ़ाई की शुरुआत होती है |

Question:- Swami ji! Can t we gain knowledge by reading religious books?

Answer: Whatever the Mahatmas have written, they have experienced and practiced it. A thick vessel Krishna created Geeta, Geeta did not create Krishna. Goswami Tulsidas ji created Ramayana, Ramayana did not create Goswami ji. Similarly, Brahma created Vedas, Vedas did not create Brahma. It is written in these scriptures that go to those Tatvdarshi Mahatmas whose divine eyes are open and keep coming and going to the divine worlds above.


Only he can give you true knowledge, can give you self-knowledge, can open the eye of the soul which is called Shiva Netra. Spiritual studies begin only after Shiva s eyes are opened.