उत्तर - भन की आदतें पिछले जन्मों से पड़ी हुई हैं । भरपूर प्रयत्न करने के बाद भी आसानी से आदत का छूटना संभव नहीं हो पाता । यह कोई दिन, महीने और साल का काम नहीं है । गुरु की दया से ही स्वभाव में परिवर्तन आता है । दृढ़ संकल्प का होना जरुरी है | वैसे यह जीवन भर की लड़ाई है | जिन्होंने मन से टक्कर ली है या ले रहे हैं वे ही जानते हैं कि मन को जीतना कितना कठिन काम है |
तुम्हें रास्ता मिला है तो भजन करो | शब्द से मन बश में होगा । आवाज यानी मधुर संगीत जो आकाश में हो रही है उसे सुनकर ही मन चुप हो जाता है दूसरा कोई इलाज नहीं । भजन में सब गुण हैं । उसमें आनन्द है, शक्ति है, प्रकाश है, निर्भयता है । भजन से आत्मा बलंवती होती है और फिर वो मन को अपने इशारे पर ही नचाती है ।
मन जो इस समय स्वामी बना है फिर वो आत्मा का दास बन जाता है । भजन से विचार बदल जाते हैं, अच्छे गुण आ जाते हैं, स्वभाव परिवर्तन हो जाता है, सत-असत का ज्ञान हो जाता है और अन्तत वो मालिक जो सबका सिरजनहार है प्राप्त हो जाता है |
Question:- Swami ji! I have developed some habits which I cannot give up even if I try. What to do?
Answer: Bhan s habits are from previous births. Even after trying hard, it is not possible to give up the habit easily. This is not the work of a day, month or year. It is only by the mercy of the Guru that one s nature changes. It is important to have determination. Well, this is a fight of a lifetime. Only those who have fought or are fighting the mind know how difficult it is to win the mind.
If you have found the way then do bhajan. The mind will be controlled by words. The mind becomes silent just by listening to the sound i.e. the sweet music being played in the sky, there is no other cure. Bhajan has all the qualities. There is joy, strength, light and fearlessness in it. Bhajan strengthens the soul and then makes the mind dance at its own pace.
The mind which is the master at this time then becomes the slave of the soul. Through bhajan, thoughts change, good qualities develop, nature changes, knowledge of true and false is acquired and ultimately the Master who is the Creator of all is attained. |