उत्तर - दया तो है ही । बीमारी प्रारव्ध कर्मों के अनुसार होती है । यह समझना चाहिए कि बीमारी से बुरे कर्म कट रहे हैं । बीमारी कर्मों के बोझ को हल्का करती है और कर्ज चुकाती है । बीमारी से गन्दे कर्मों की सफाई होती है । ऐसे समय में ध्यान को हमेशा ऊपर की तरफ रखना चाहिए । तीसरे तिल में ध्यान रहेगा और शब्द को सुनते रहोगे तो तकलीफ कम महसूस होगी |
भजन में शरीर का कष्ट अधिक नहीं मालूम होता जैसे क्लोरोफार्म सुंघा दिया और आपरेशन हो गया | नाम का नश क्लोरोफार्म है । बीमारी की टीस भजन की याद दिलाती रहती है । इसलिए मालिक की याद में तकलीफ कम होगी और दया का. परिचय भी मिलेगा |
Question:- Swami ji! I am very ill please have mercy..?
Answer: There is definitely mercy. Illness occurs according to one s destiny. It should be understood that bad karma is being cut off due to illness. Illness lightens the burden of karma and repays the debt. Illness purifies dirty deeds. At such times, attention should always be kept upwards. If you concentrate on the third mole and keep listening to the word, then you will feel less pain.
In the bhajan, the pain of the body does not seem to be much as if chloroform was inhaled and the operation was done. The drug named is chloroform. The pang of illness keeps reminding me of Bhajan. Therefore, in the remembrance of the Lord, there will be less pain and mercy. You will also get an introduction. |