उत्तर:- इस जीवात्मा के ऊपर चार खोल यानी कपड़ा है। एक के ऊपर दूसरा दूसरे के ऊपर तीसरा और तीसरे के ऊपर चौथा । इस स्थूल शरीर में जो पाँच तत्वों यानी जल, पृथ्वी, आकाश, वायु और अग्नि का बना है इसमें सुरत को इन्द्रियों के भोग रोकते हैं और पूरी कोशिश करते हैं कि जीवात्मा ऊपर के चेतन मण्डलों में न जाने पावे। लिंग शरीर इसके बाद है -जो जीवात्मा धारण करती है।
लिंग शरीर में देवी और देवता रहते हैं और स्वर्ग तथा बैकुण्ठ में उनका निवास है। उन लोकों में बहुत आनन्द और सुख है जिसे जीवात्मायें छोड़ना पसन्द नहीं करती । उसके आगे सूक्ष्म शरीर है। सूक्ष्म शरीर में निरंजन भगवान हैं। उस लोक में स्वर्ग और बैकुण्ठ से बहुत ज्यादा सुख आनन्द है और जीवात्मायें उन्हें छोड़ना नहीं चाहती किन्तु समय पूरा होने पर पुन: उन्हें मृत्यु लोक में आना पड़ता है। “पुण्य क्षीणे मृत्यु लोके' ऐसा कहा गया है। उसके ऊपर कारण शरीर है जो पाँच तत्वों का है शब्द स्पर्श, रूप, रस, गंध ।
यहाँ ब्रह्म का निवास है यह जीवात्मा के ऊपर आखिरी कपड़ा है। जब वो इसे सन्तमत की साधना के द्वारा उतार देती है तब वो ब्रह्म से भी आगे पार ब्रह्म पद में पहुंच जाती है। वहां जीवात्मा का शब्द रूप होता है यानी अपने वास्तविक रूप में वो आ जाती है। उस पर कोई पर्दा नहीं। उसमें इतनी शक्ति होती है कि वो सेकेन्डों में अनेक मण्डलों का निर्माण कर दे । उसके प्रकाश व शक्ति के आगे ईश्वर, ब्रह्म कुछ भी नहीं। अभी तो वो जीवात्मा बूंद रूप में इस मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के पीछे बैठी है।
Question:- Swami ji! Please tell which pleasures in the four bodies prevent Surat from going up?
Answer:- There are four shells i.e. cloth on this soul. One above the other, the third above the second and the fourth above the third. In this physical body which is made up of five elements i.e. water, earth, sky, air and fire, Surat stops the pleasures of the senses and tries his best to prevent the soul from going into the upper conscious regions. Next is the phallic body – which is held by the soul.
Goddesses and Gods reside in the penis body and their residence is in heaven and Vaikuntha. There is a lot of joy and happiness in those worlds which the living souls do not like to leave. Next to that is the subtle body. Niranjan is God in subtle body. There is much more happiness and joy in that world than heaven and Vaikuntha and the souls do not want to leave them but at the end of time they have to come back to the world of death. It has been said, “Punya ksheene mrityu loke”. Above that is the causal body which is made up of five elements: word, touch, form, taste and smell.
Brahma resides here, this is the last cloth on the soul. When she removes it through the practice of Santmat, then she reaches beyond Brahma and reaches the stage of Brahma. There the soul takes the form of word, that is, it comes in its real form. There is no curtain on it. It has so much power that it can create many mandalas in seconds. God and Brahma are nothing compared to his light and power. Right now that soul is sitting behind both the eyes in this human body in the form of a drop. |