उत्तर:- 'शब्द' कहो, “नाम' कहो, वाणी कहो, धुन कहो बात एक ही है। 'शब्द' या 'नाम' आंवाज को कहते हैं जो कुदरती अपने आप हो रही है। उसे कोई बाजा बजा नहीं रहा । घण्टे की आवाज मनुश्य शरीर में दिन-रात हो रही है। यह आवाज इस आसमान के ऊपर से आ रही है और उस स्थान तक़ पहुंच रही है जहां जीवात्मा इस शारीर में बैठी है। कर्मों के पर्दों की वजह से वह जीवात्मा को सुनाई नहीं दे रही | मनुष्य सोता है मगर वो शब्द नहीं सोता। वो बराबर बज रहा है। मौत के वक्त ही “शब्द' बन्द होगा।
Question:- Swami ji! What is called “word”, “name!” What is it called whose mention comes again and again in satsang?
Answer:- Call it 'word', call it 'name', call it speech, call it tune, it is the same thing. 'Shabd' or 'Naam' is the sound which is occurring naturally on its own. No one is playing him. The sound of the bell is heard in the human body day and night. This sound is coming from above this sky and is reaching the place where the soul is sitting in this body. Due to the curtains of karma, it is not heard by the living soul. Man sleeps but the word does not sleep. It is still ringing. The word will stop only at the time of death. |