1. अगर तेरा मिलता सहारा नहीँ है |
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2. अँधेरी दुनिया भजन बिना कैसे तरिहे, अनाड़ी दुनिया भजन बिना कैसे तरिहे।। |
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3. अनामी तुमको जयगुरुदेव कह कर के बुलाऊँ मै, नही आधार कोई ध्यान फिर कैसे लगाऊ मैं।। |
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4. अब अपना बना लो हमें सतगुरू प्यारे |
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5. अब सौप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथो में |
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6. आओ मुक्ति दिवस मनायें, जयगुरूदेव घ्वजा लहरायें |
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7. आओ रे लोगों सन्त शरण में, काम यही एक आएगा। |
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8. आधी रात ढली जीवन की होगा अभी सवेर रे, आजा बंदे गुरु शरण में काहे करता देर रे ।। |
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9. आया शरण तुम्हारी गुरु पार कीजिये, अब तक किए जो पाप उन्हें माफ कीजिये। |
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10. आरती करूँ गुरुदेव की जिन भेद बतायो, चरण कमल की छाय मे जिन सुरत बिठायो |
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11. आरती करहुँ सन्त सतगुरु की, सतगुरु सतनाम दिनकर की |
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12. आरती जयगुरुदेव अनामी, कीन्ही कृपा दरश दियो स्वामी।। |
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13. आस लगी है दर्शन की कर दो पूरी मन की |
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14. इतनी शक्ति मुझे दो मेरे सतगुरु तेरी भक्ति मे खुद को मिटाता चलूँ ।। |
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15. उठ जाग मुसाफिर भोर भई, क्यों मोह निशा में सोवत है। |
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16. उड़ जा रे पंछी, ये अपना देश नहीं बेगाना। |
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17. एक तुम्हीं आधार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।। |
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18. एक बार भजन कर ले मुक्ति का जतन कर ले, कट जायेगी चौरासी गुरु का सुमिरन कर ले । |
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19. एक मेरे मालिक दूसरा ना कोई, एक मेरे सतगुरु दूसरा ना कोई।। |
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20. ऐ मेरे वतन के लोगो |
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21. ऐ मेरे सतगुरु आ के मिल जा मुझे, हम अनाथों का कोई सहारा नहीं।। |
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22. ऐ सुख तू कहाँ मिलता है |
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23. ऐसे सतगुरु मिले लाखों सूरज उगे लीला सबको दिखाना गजब हो गया । |
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24. ऐसो परम गुरु पायो (सोहर) |
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25. कब आन मिलो गुरुदेव, बहुत दिन बीत गए।। |
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26. कब तक रहोगे रूठे, बिनती सुनो हमारी |
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27. क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जायेगा |
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28. कर ले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिन्दगानी में। |
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29. करूँ वीनती दोऊ कर जोरी, अर्ज सुनो राधा स्वामी मोरी ।। |
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30. कैसे मिलेंगे भगवान, गुरु के बिना |
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31. कहें जयगुरुदेव पुकार, जमाना बदलेगा। |
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32. किस्मत बङी है अपनी जो आप मिल गये हैँ |
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33. कोई कहियो रे गुरु आवन की, कोई कहियो रे गुरु आवन की |
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34. खोज री पिया को निज घट में। |
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35. गुरू का ध्यान कर प्यारे, बिना इस के नहीं छुटना |
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36. गुरु का सहारा मिला गर ना होता |
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37. गुरू की मुरत मन में ध्याना । गुरू के शब्द मन्तर मन माना |
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38. गुरू चरण कमल बलिहारी रे, मेरे मन की दुविधा टारी रे |
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39. गुरु चरणन दृढ़ प्रीत कर मन की खेंचि लगाम |
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40. गुरू चरणों में अपने लगा लीजै। मेरे भाग्य को स्वामी जी जगा दीजै। |
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41. गुरु जीवन की ये नैया किनारे से लगा देना |
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42. गुरु दरिया में नहाना मन कहीं |
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43. गुरु बिन मैलो मन को धोई |
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44. गुरु भवसागर तर जाऊं कि नैया मेरी पार करो |
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45. गुरु मंत्र |
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46. गुरू महिमा है अपार जगत में, गुरू महिमा है अपार |
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47. गुरु मिले अगम के वासी |
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48. गुरु मोहि अपना रूप दिखाओ |
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49. गुरु रूप न समझे कोय, भरम में पड़े अज्ञानी |
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50. गुरुजी मेरी क्यों नही सुनत पुकार,दयालु मेरी क्यों नहीं सुनत पुकार।। |
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51. गुरूदेव तुम्हारे चरणों में, सतकोटि प्रणाम हमारा है। |
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52. गुरुदेव दया इतनी कर दो, हम को भी तुम्हारा प्यार मिले |
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53. चलो गुरु की शरणियां, जगवा से नाता तोड़ के |
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54. छोड़ कर संसार जब तू जाएगा। कोई न साथी तेरा साथ निभाएगा।। |
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55. जब कभी है याद आती गुरु तेरे दरबार की |
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56. जब तेरी डोली निकाली जायेगी। बिन मुहूरत के उठाली जाएगी। |
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57. जब नींव धर्म की हिलती है, कोई हस्ती खुदा से उतरती है |
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58. जब लौ शरण न सतगुरु जइहो |
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59. जयगुरुदेव अनंत पुरातन, जय अनादि प्रभु सत्य सनातन |
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60. जयगुरुदेव आरती लाई। सतगुरु के सत्संग गंग में प्रथमई जाय नहाई। |
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61. जयगुरुदेव चालीसा |
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62. जयगुरुदेव चालीसा के दोहा |
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63. जयगुरुदेव चालीसा चौपाई |
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64. जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। मेरे मात पिता गुरुदेव, जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव। |
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65. जयगुरुदेव ध्वजा लहरायें, मानव जीवन सफल बनायें |
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66. जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में |
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67. झूला अजब पिया ने डारी |
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68. तू है रहम का सागर,तेरी हर बात है निराली |
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69. तुम न आये गुरुजी, सुबह हो गई। मेरी पूजा की थाली सजी रह गई।। |
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70. तुम नाम जपन क्यों छोड़ दिया। |
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71. तुम्हे सत्संगियों संसार मे आदर्श बनना है |
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72. तेरा हैं काम केवट का, किनारे नाव ला देना |
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73. देखो गुरु दरबार मची होली |
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74. दया करो मेहर करो |
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75. दयालु दया सिन्धु हैं नाम तेरे |
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76. दरस बिन दूखन लागे नैन। |
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77. दशा मुझ दीन की भगवन, सम्हालोगे तो क्या होगा।। |
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78. धाम अपने चलो भाई पराये देश क्यों रहना।। |
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79. नैया लगा दो भव पार |
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80. निज चरणों का दरश करा दो गुरु, मुझे प्रेम दिवानी बना दो गुरु |
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81. पिला दो घूँट अमृत, तुम अपने चरण का |
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82. फागुन के दिन चार, होली खेल मना रे |
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83. बज रहा काल का डंका, कोई बचने न पायेगा। |
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84. बता दो प्रभु तुमको पाउं मैं कैसे? विमुख होके सन्मुख, अब आउं मैं कैसे? |
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85. बदली हिन्दुस्तान तो बदलि जाई दुनियां |
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86. बहुत दिन हो गए दर्शन, मिले स्वामी चले आओ। |
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87. भक्ति करते छूटें मेरे प्राण गुरु जी यही माँगू सदा, |
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88. भरोसो चरन कमल का तेरे |
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89. भोग धरे सतगुरु स्वामी आगे |
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90. मुझे गुरु देव चरणों में लगा लोगे तो क्या होगा |
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91. मन तू भजन नहीं यदि करि हौं |
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92. मन तु भजौ गुरू का नाम |
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93. मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया, इसकी कीमत न जानी तो मैं क्या करूँ |
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94. मन लागो मेरो यार फकीरी में। |
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95. मेरे तन से प्राण निकले, गुरु सेवा करते-करते |
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96. मेरे दाता के दरबार में है, सब लोगो का खाता |
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97. मेरे प्यारे गुरु दातार, मंगता द्वारे खड़ा । |
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98. मेरे सतगुरू मुझ पर, कृपा कब करोगे। |
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99. मेरा कोई न सहारा बिन तेरे, गुरुदेव दयालु मेरे। |
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100. मेहर की नजर करो मेरी ओर, दया की नजर करो मेरी ओर |
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101. मानव तेरे जीवन का आधार रहेगा कितने दिन |
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102. मिलता है सच्चा सुख केवल, गुरुदेव तुम्हारे चरणों में। |
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103. मोको कहां ढूढ़े बन्दे, मैं तो तेरे पास में।। |
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104. मौत से डरत रहो दिन रात |
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105. यही वंदना है गुरु से बारंबार हमारा देश फूले फले |
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106. विनय करुं मैं दोऊ कर जोरे, सतगुरु द्वार तुम्हारे। |
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107. शरणागत हैं हम दीन हैं, प्रभु आये द्वार तुम्हारे |
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108. श्रद्धा के भाव बनाओ, सतगुरु मेरी सुरत जगाओ |
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109. सतगुरु के संग फाग आज, सखि अद्भुत खेली |
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110. सतगुरु जय गुरु देव हमारे |
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111. सतगुरु परम् दयाल री, कोई कदर न जानी |
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112. सतगुरु पार लगाओ मोरी नैया |
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113. सतगुरु पिया मोरी रंग दो चुनरिया |
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114. सतगुरु बहियां पकड़ो मोरी |
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115. सतगुरु माफ करो तकसीर।। |
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116. सतगुरु शगुन भरो मोरे बाबा (सोहर) |
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117. सतगुरू शान्ति वाले, तुमको लाखों प्रणाम |
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118. सतगुरू सतनाम, तुमको लाखों प्रणाम। |
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119. सतगुरु सत्संग जो, सुनि मनि धारा, अलख अगम का भेद बिचारा |
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120. सतसंग की गंगा बहती है गुरुदेव तुम्हारे चरणों में |
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121. सतसंग की लागल बजार हो |
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122. सतसंग में सुख शान्ति भरो है, मानव का परमार्थ धरो है |
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123. सुनो दिल को लगा प्यारे |
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124. साथी सारे जगे, तू न जागा |
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125. हे दयामय दीन बन्धु यह विनय सुन लीजिए। शमन सब पापों का मेरे आप सब कर दीजिए।। |
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126. हे दीन बंधु गुरुवर सुनलो विनय हमारी प्रभु इस तरह सदा ही झांकी मिले तुम्हारी।। |
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127. हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये, शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।। |
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128. हे मेरे गुरुदेव करुणा सिंधू करुणा कीजिए, हूं अधम आधीन अशरण, अब शरण मे लीजिए।। |
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129. हे री! मैं तो प्रेम दिवानी, मेरा दरद न जाने कोय |
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130. हे सतगुरु तुम्हें छोड़ है कौन मेरे, फिर क्यों देखते हो उधर दृष्टि फेरे।। |
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131. हे सतगुरु स्वामी, मेरे तुम सतगुरु स्वामी। शरण तुम्हारी हूँ मैं, मूरख खल कामी। |
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132. हमारे प्यारे पाहुना जयगुरुदेव आये। द्वार द्वार पर चौक पुराये, मंगल कलश धराये। |
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133. हार गई मैं चलते-चलते, विरह कि मार्ग अति दुखदाई |
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134. होते हैं जो गुरु के दीवाने, वे मौज निहारा करते हैं |
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