जो लोग देवी, देवता, राम, कृष्ण, ईश्व आदि का सहारा लेकर पाप करते हैं| जो नित्य नए पाप करके प्रतिदिन कीर्तन नाम आदि से उन्हें धो डालना चाहते हैं | उन्हें तो सदा नीच बुद्धि वाला समझी। उनके पाप यमराज भी नहीं धो सकते हैं।
पाप नाश तो प्रायश्वित या फल भोग से ही होता है। क्षणिक नाशवान भोगों की परवाह ही न करो। उनके मिलने या न मिलने से हानि ही क्या है ? दुख सुख सदा प्रारम्भ से जाते हैं। अतएव दुख अज्ञानता से भी आ जाता है और दुख ज्ञान से भी दूर हो जाता है।
यह भी मत भ्रम करो कि पाप प्रारब्ध से होते हैं। पाप होते हैं आसक्ति से और उनका पूरा फल तुम्हें अवश्य भोगना पड़ेगा।
महा प्रभु परम दयाल पर पूरा विश्वास रक्खो । उसके विश्वास करने से ही तुम दुःख की आपक्तियों से बच सकते हो। जिनको उस परम दयाल प्रभु का भरोसा है वे शोक रहित, निमोंह और प्रतिदिन निर्भय रहते |
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