बड़ाई चाहने वाले ही अपमान से डरते हैं। बड़ाई का बोझा मन से उतरते ही मन हल्का और निर्भय हो जाता है। शरीर का नाश होना यथार्थ मृत्यु नहीं है।
किसी को गाली न दो, वृथा न बोलो, चुगली न करो, झूठ न बोलो, सदा कम बोला और हर शब्द को सावधानी से उच्चारण करो।
औरों की त्रुटियों और कमजोरियों को सहन करो , तुममें भी बहुत सी त्रुटियां है। ज है दूसरे सहन करते हैं।
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