जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
सत्संगी का जीवन कैसा हो

Satsangee Ka Jeevan Kaisa Ho

सेवक को गुरु के पास पहुँचकर सदा चुस्त चालाक रहना चाहिए। सेवक जरा भी गुरु के पास रह कर गाफिली करता है तो यह सत्य है कि गुरु की दया से खाली रहेगा।

सतसंगी जनों को यह आदेश है कि जहां तक बने बचनों का पालन करें। कभी कभी सतसंगी जनों की परीक्षा संसारियों के द्वारा कराई जाती है और उन्हीं के द्वारा कर्म काटने का प्रबन्ध किया जाता है। सतसंगी जनों को जो परमार्थ में हाथ धोकर लगे हैं उन्हें सतसंगी की हालतें कभी कभी नाजुक गुजरने लगती है । ऐसी नाजुक परिस्थिति में सेवक घबरा जाता है और परमार्थ में कमी शुरू हो जाती है ।

यह जरूर है कि कर्म अनुसार गुरु कुछ हालतों को पैदा इसलिये कर रहा कि उसके कर्म कट जावें । पर सतसंगी जनों को यह सुनाया जाता है कि तुमने इतने दिन जो सतसंग सुना है उसका तुम्हें क्या असर हुआ और तुमने परमार्थ के रास्ते में क्या करनी की । सतसंग के पूर्व कर्मों पर ध्यान देना होगा और साथ ही जिस अवस्था में अब हैं उसको भी विचार करना होगा । सतसंगी जनों को तभी समझ में आ सकता है जब कि अपने कर्म पर विचार किया जायेगा ।