जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज की भविष्यवाणियां

Param Sant Baba JaiGuruDev Je Mahaaraaj Ke Bhavishyavaaniyaan

Predictions of Param Sant Baba Jaygurudev Ji Maharaj | Param Sant Baba Jaygurudev Ji Maharaj

​कलयुग में कलयुग जाएगा और कलयुग में सतयुग आएगा

पहले सारा विश्व आर्थिक संकट की चपेट में आयेगा फिर अनाज की कमी से त्राहिमाम मचेगा, फिर सारे मुल्क आपस में टकरा जायेंगे।

• अभी कलयुग के आये हुए पांच हजार साल हुए हैं, लेकिन इस अल्पवधि में जो पाप कलयुग के अंतिम चरण में होने चाहिए थे वो अब इस समय में हो रहे हैं। इसलिए इसी युग में कुछ समय के लिए सतयुग आ रहा है। अब जिस दिन दोनों की टक्कर होगी तो महाभारत होगी और एक झटके में बीसों करोड़ लोग समाप्त हो जायेंगे।

• कलयुग का समय अभी पूरा नहीं हुआ है। उसके प्रथम चरण में ही पाप इतना बढ़ा कि महात्माओं ने युग परिवर्तन की मौज की। इसी कलयुग में सतयुग आयेगा और कलयुग जायेगा। उसके बाद फिर कलयुग लग जायेग।

• कलयुग जाने की तैयारी कर रहा है और सतयुग आने की तैयारी में है। जब दो युगों की टक्कर होती है तब-तब महाभारत होता है और जब महाभारत होता है तब विनाश होता है। अनेक मुल्कों के पास खतरनाक-खतरनाक हथियार हैं, निशानों पर मिसाइलें फिट की गयीं हैं। अगर किसी राष्ट्राध्यक्ष का मस्तक गरम हुई और बटम दबा तो जहां भी मिसाइलें गिरेंगी सब कुछ जलकर राख हो जायेगा। इसके साथ ही तमाम मुल्कों में बटम दबने लगेंगे।

• महाभारत की लड़ाई 18 दिन की हुई थी। ऐसा भी हो सकता है कि आगे भी जब लड़ाई हो वो 18 मिनट ही चले और भारी नर संहार हो जाए।

• सृष्टि को आप ने गन्दा कर दिया। गन्दगी बर्दाश्त के बाहर हो चुकी है इसलिए नेचर (प्रकृति) कुछ खेल करने जा रही है। तुम यहां बटोरने में लगे हो तो कुदरत भी अपने आंचल को समेटने वाली है। अकाल मृत्यु बहुत होगी। कई-कई कोस पर चिराग दिखाई देंगे। महात्मा तो तुम्हें बचाना चाहते हैं लेकिन तुम उनके दायरे में आते ही नहीं।

• आगे सारे विश्व में सूखा पड़ेगा नदियों, नहरों, तालाबों में पानी नहीं रह जायेगा। बिजलियां नहीं बन सकेंगी। तमाम कारखानें बन्द हो जायेंगे। देश में अन्न की भारी कमी होगी और सारे विश्व में सूखा पड़ने से हाहाकार मच जायेगा। भयानक भूखमरी फैलेगी जिससे करोड़ों लोग मर जायेंगे। इसी समय भयानक बीमारियां फैलेंगी उससे भी तमाम लोग मरेंगे। यह सब आपके पाप कर्मों का फल होगा।

• पापों का घड़ा भर चुका है और अब वह फूटेगा। अगर आप मांस, मछली, अण्डे, शराब, आन्दोलन, हड़ताल तथा अन्य दुराचार नहीं छोड़ते हैं तो आगे चलकर भयानक सूखा पड़ेगा। पानी न गिरने से ये नदियां व नहरें सूख जायेंगी। डेम पर पानी नहीं रहेगा और बिजली का बनना बन्द हो जायेगा। कारखानों, शहरों, ट्यूबवैलों को बिजली नहीं मिलेगी और तमाम काम ठप हो जायेगा। जल-स्तर बहुत नीचे चला जायेगा जिससे सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा सारे विश्व में हाहाकार छा जायेगा तब अन्न किधर से पैदा होगा और आप क्या खाओगे? आपको भर पेट भोजन मिलता है इसलिए आप सुनते नहीं हो। अभी दो दिन भोजन न मिले तब समझ आ जायेगी।

• एक समय ऐसा आयेगा जबकि लोग तुम्हारे रूपय, पैसे, गहनों को छोड़ देंगे और अनाज लेने के लिए तुम्हारी जान ले लेंगे।

• कुदरत खुश नहीं है क्योंकि सबके कर्म गन्दे हो गये हैं। वो गन्दगी बर्दाश्त नहीं करेगी। अगर आप नहीं सम्भले तो एक झटके में कुछ का कुछ हो जायेगा। जब आप के ही पाप कर्म इकठ्ठे हो जाते हैं तो प्राकृतिक आपदायें आती हैं और एक ही बार में कितनों का सफाया कर देती हैं।

• बहुत बड़ा भुकम्प आने वाला है, जिसकी अभी कोई कल्पना नहीं कर सकता। बड़ी-बड़ी इमारतें गेंद की तरह आसमान में उछल जायेंगी। परिवर्तन तो ऐसा होगा कि लोग रात को सोयेंगे और सबेरे आदमी, आदमी को ढूढ़ेगा।

• आगे ऐसी-ऐसी बीमारियां आयेंगी कि डॉक्टरों को रोग का पता नहीं चलेगा और लोग ठंडे हो जायेंगे।

• जब पापों का घड़ा भर जाता है तो सृष्टि में विप्लव होता है. कुदरत है अभी तो कभी धक्का मारती है, कभी तमाचा मारती है और जब उथल-पुथल कर देगी तो पता नहीं चलेगा कि कहां चले गए।

• पाप के बढ़ जाने पर कुदरत जब नाराज होगी तब पृथ्वी में उबाल आएगा और 80-90 फिट ऊपर आसमान में इमारतें उछल जाएंगी।

• तुम नहीं जानते हो कि भगवान की प्रकृति और खुदा की कुदरत क्या होती है जब कुदरत अपना डंडा उठा लेती है तो चारों तरफ कोहराम मच जाता है, चीख-पुकार मच जाती है।

• कुदरत तैयार खड़ी है कुछ करना चाहती है मगर महात्मा उसको रोके हुए हैं समय कम रह गया है किसी आध्यात्मिक शक्ति के साथ जुड़ जाइए तो बचाव हो जाएगा। बाबा जी आपसे प्रार्थना ही कर सकते हैं।

• परिवर्तन का समय नजदीक है सतयुग के आने में और कलयुग के जाने में जो टक्कर होने जा रही है उसमें एक झटके में बीसों करोड़ लोग साफ हो जाएंगे विश्व की आबादी थोड़ी रह जाएगी। सतयुग आने पर सर्वत्र आनंद छा जाएगा।

• कलयुग में कलयुग जाएगा और कलयुग में ही कुछ समय के लिए सतयुग आएगा जो लोग महात्माओं के वचनों को नहीं मानेंगे वह कलयुग और सतयुग के टक्कर में पीस जाएंगे बचेंगे वही जैसे चक्की में कील से लगा गेहूं का दाना बच जाता है।

• समय बहुत खराब आ रहा है अमेरिका भी रोएगा चीन भी रोएगा इंग्लैंड भी रोएगा भारत और अरब देश सब रोएंगे।

• घर घर का समाज समाज का देश देश का संघर्ष अब कुछ करके रहेगा अगर लोग नहीं समझेंगे तो खत्म हो जाएंगे। युग परिवर्तन होने जा रहा है।

• अभी वक्त है कहा मान लीजिए अशुद्ध आहार अंडा, मछली, मांस, मदिरा का त्याग कर दीजिए. शुद्ध शाकाहारी अपने घर-परिवार को बना लीजिए। कुदरत एक ही झटके में कुछ करना चाहती है। शीघ्र अति शीघ्र अपना सुधार कर लीजिए आने वाली मुसीबतों को गुरु कृपा सत्संग भजन व सेवा के बल से जगत को बचा लीजिए अगर कुछ नहीं कर पाओ तो शाकाहारी ही हो जाओ।

• मुसीबत आ रही है और बहुत भयंकर रूप में आ रही है। यह सब तुम्हारे कर्मानुसार ही आयेंगी। बाबा जी जो कुछ भी कहते हैं उसका उनको स्वप्’न होता है, आभास मिलता है और देखकर कहते हैं। तुम्हें आगाह करने के लिए तुमको सुनाते हैं। मेरी बात पर ध्यान दो। शराब, अण्डा, मांस, मछली अखाद्य वस्तुओं का सेवन छोड़ दीजिए। आंदोलन, हड़ताल, तोड़फोड़ सब छोड़ दीजिए। बुराईयों की तरफ से मुंह मोड़ लें धर्म के रास्ते पर आ जाएं। यह आपके भले की बात होगी।

• दुनिया के लोग अब धर्म की तरफ नहीं मुड़ते हैं तो परेशानियां तो आयेंगी वो चाहे जमीन से आ जायें, चाहे आसमान से आवें, चाहे पूर्व से आवें या पश्चिम से, परन्तु अब यह आयेंगी जरूर। इनको कोई रोक नहीं सकता।

कुदरत के एक तमाचे में लोगों के होश ढिकाने आ जायेंगे

• प्रकृति ने सम्पूर्ण प्राणी जगत के लिए अलग-अलग भोजन की व्यवस्था की है। हमारे लिए अलग आहार को निर्धारित किया है, किन्तु मानव ने प्रकृति द्वारा निर्धारित आहार को गौड़ समझकर अनेक प्रकार के मांस खाने लगा। जैसा कि नियम है कि भोजन से रस बनता है फिर रक्त, मांस, मज्जा, अस्थि और अन्त में शुक्र या वीर्य बनता है। ओज की सृष्टि होती है और यही ओज हमारी मानवीय बुद्धी का सृजन करता है। अज्ञानतावश अखाद्य पदार्थों के खाने से हमारी ओज शक्ति शून्य हो गयी और शून्य के स्तर पर पहुंच गयी और हम मानव होते हुए पशुवत हो गये। परिणाम ये हुआ कि पहले हम गिरे फिर परिवार नष्ट हुआ उसके बाद व्यवस्था नष्ट हुई। व्यवस्था के नष्ट होने से राज्य भ्रष्ट हो गया और आज सम्पूर्ण व्यवस्था और मानवता नष्ट हो चुकी है। आज मनुष्य खुलेआम हत्या में लिप्त हो गया है जिसके कारण अकाल मृत्यु हो रही है और जीवात्मायें प्रेत योनि में चली जा रही हैं। बच्चे और बच्चियों के चरित्र गिर गये हैं। आज सम्पूर्ण मानवता पथ-भ्रष्ट होकर अज्ञानता और दुख की खाई में गिरकर चीत्कार कर रही है। अब दुखों से छुटकारे का मूल स्थान सन्तों की शरण है। बगैर उनकी शरण में गये अब मानव मात्र का कल्याण असम्भव है। अगर अब भी चेतना नहीं आई तो प्रकृति अपने तरीके से काम करेगी और सबको दण्ड मिलेगा, व्यापक संहार होगा।

• कुदरत के नियमों के विपरीत लोगों का आचरण होने लगा है और भ्रूण हत्यायें होने लगी हैं जिसके कारण कुदरत सख्त नाराज है। महात्मा कहते हैं कि ऐसे समय में काल की शक्तियां सबको कर्मानुसार सजा देती हैं। महात्मा कहते हैं कि कुदरत के एक तमाचे में लोगों को होश आ जायेगी। परिवर्तन होगा अब जल्द होगा। कुदरत संकेत देने लगी है।

• इस बात को याद रखना चाहिए कि कुदरत बड़ी कठोर है जब तक मनुष्य बुराईयों को त्याग कर सत्य और धर्म को अपनाता नहीं है तब तक उसे सुख और चैन नहीं मिलेगा। कुदरत का डण्डा जब बजता है तब मनुष्य धर्म की ओर मुड़ता है। अगर नहीं मुड़ता है तो ऐसे दुष्टों का खात्मा कुदरत कर देती है।

• जब पापों का घड़ा भर जाता है तब धरती पर उथल-पुथल होती है वह चाहे अग्नि से हो, वायु से हो, धरती से हो, आकाश से हो। ठीक यही स्थिति वर्तमान में है।

• जब भारतवर्ष और विश्व के देशों में सूखा पड़ेगा और अन्न का दाना नहीं मिलेगा तब तुम्हारी अक्ल ठिकाने आ जायेगी। कुदरत का एक ही डण्डा तुम्हारे लिए काफी है।

• जब आप प्रकृति के नियम भंग कर देते हो तभी कुदरत का खेल होता है। पहले धीरे-धीरे वह घेरती है फिर अचानक में हमला कर देती है। उसके एक डण्डे में करोडों धाराशायी हो जाते हैं।

• जब कुदरत की मार पड़ेगी तब शाम को कुछ और जब सबेरे उठोगे तो नजारा कुछ और दिखाई पड़ेगा।

• आप जगे नहीं और बच्चे-बच्चियों को शाकाहारी नहीं बनाया तो यह सब दर्द भरा दृश्य देखने को मिलेगा जिन बातों को आप सोच भी नहीं सकते वह सब देखने को मिलेगा।

• मैं पहले से कहता आ रहा हूं कि सब लोग शाकाहारी हो जाओ। दुख की तरफ सब लोग जा रहे हो गड्ढे में गिरने के लिए। इसलिए फिर कहता हूं कि शाकाहारी हो जाओ तो बचाव हो जायेगा। शराब पीना छोड़ दो। यह तुमको और तुम्हारे परिवार को बर्बाद कर देगा। मां, बहन, बेटी की पहचान ख़त्म कर देगा।

• एक बात सब लोग याद रखो कि धर्म की स्थापना अवश्य होगी चाहे जमीन फट जाये या आसमान गिरे परिवर्तन होकर रहेगा। अच्छे और धार्मिक लोगों का समय आयेगा। लोगों के किए हुए कर्मों का भण्डा फूटेगा।

• समय आयेगा तो एक दिन मेरी बातों को आप को मानना होगा कि कुछ दिन पहले हमारे मानने के लिए यह अपनी आवाज को उठाते थे और हमने आगे नहीं माना। मुझे आगामी समय जैसा कि मैंने सुनाया कई जगहों पर भविष्य के बारे में बताया अगर मनुष्य आज तुम नहीं मानते हो, भगवान की चिंता नहीं करते हो तो हत्या, कपट, छल, झूठ, शराब, मांसाहार अपराध का फल आपके सामने आयेगा।

• आगे मुसीबत तो भारी आयेगी अगर तुम उन मुसीबतों और कोहराम से बचना चाहते हो तो संकल्प करो कि मांस, शराब, तोड़फोड़, हड़ताल, आगजनी, अनैतिक कार्य इन सबसे दूर रहोगे। फिर प्रभु की तुम पर दया होगी और आप के ऊपर केवल चार आने तकलीफ आयेगी और उसको बर्दाश्त करने की शक्ति भी मालिक देगा। याद रक्खो अगर तुमने बातों को नहीं माना तो 16 आने से 18 आने तक तकलीफें आयेंगी और तुम्हें रोना और भोगना पड़ेगा।

• अभी तुमको समझाया जा रहा है और माफी मिल सकती है। किन्तु न्याय के लख्त पर बैठने पर माफी का प्रश्न ही नहीं उठता है। जैसा भी करोगे उसका फैसला तुम्हारे सामने आयेगा।

• जब पृथ्वी पर पाप बढ़ जाता है तब ईश्वर की पार्लियामेन्ट में अधर्मियों के विनाश की और अच्छे लोगों की रक्षा की एक रील तैयार की जाती है। इसी रील के अनुसार कुदरत अपना काम करती है। इससे पहले इस भूमण्डल पर जो सन्त रहते हैं उनसे उस रील को पास कराना आवश्यक होता है। संत सत्तपुरुष के रूप में होते हैं और सर्वसमरथ होते हैं। बिना उनके मर्जी के यह काम नहीं हो सकता है। अत: वह जीवों पर दया करके उनको एक लक्ष्मण रेखा के अन्तर्गत लेना चाहते हैं जिससे उनकी रक्षा हो सके। जो जीव उनकी बातों को मान लेते हैं वो बच जाते हैं बाकी लोग समाप्त हो जाते हैं।


​बाबा जयगुरुदेव जी महाराज की अमरवाणी

• सभी धर्म के लोगों से मेरी अपील है कि मांस, मछली, अण्डे, शराब का सेवन छोड़ दें अनैतिक कार्यों को बन्द कर दें। यदि वे मेरी बातों को नहीं मानते हैं तो कुछ समय बाद सूखा पड़ेगा अन्य मुल्कों में भी सूखा पड़ेगा और लोग मरेंगे। अनाज जब पैदा नहीं होगा तो क्या खाओगे? बाबा जी की बातों को तुम्हें मानना ही होगा चाहे हंसकर मानो चाहे रोकर मानो या चाहे मजबुरी में मानो। अभी समय है सम्भल जाओ।

• मंदिरा, मांस व अण्डे खाना पाप है। सत्संगी उन लोगों से दूर रहें जो मांस, मछली खाते हैं क्योंकि वह मनुष्य भारी पाप कर्म कर रहे हैं। मांस, मछली खाना हत्या करना नीच कर्म है। अण्डे मासिक पक्षियों का गलीज खून है। कण मात्र रज वीर्य है पर दोनों गन्दे पेशाब की नली से निकलते हैं। मांसाहारियों को कुछ दिनों में प्रकृति सजा देने वाली है। बच्चों को अण्डे मत खिलाओ वरना तुम्हें भी रोना होगा। जो दूसरे के बच्चों को रूलाते हैं वह खुद भी रोते हैं।

1- मुसलमान धर्म का कैदी होता तो कभी बदकारी नहीं करता।
2- हिन्दु धर्म का पाबन्द होता तो कभी व्यभिचार नहीं करता।
3- ईसाई धर्म यानी ईसाहमसीह को मानते तो कभी जीव हिन्सा नहीं करते।
4- आफिसर धर्म के बन्धन में होता तो कभी रिश्वत नहीं लेता।
5- चोर समाज की जकड़ में रहता तो कभी चोरी नहीं करता।
6- जुआरी, शराबी, कबाबी धर्म-इष्ट का पुजारी होता तो यह नासिक कर्म नहीं करता।

मूल बात यह है कि हर धर्म वालों ने अपना समाज और अपना धर्म छोड़ दिया। इसलिए अनाचार फैल गया है जो आज पाप ही पाप नजर आता है। इस वक्त दयनीय अवस्था पापाचार को देख कर यह कहा जाता है कि इसका विनाश होने वाला है। चारों ओर से आग लेकर लोग आग लगाने को तैयार हैं। दुनिया वालों अपना जीवन सुधारो वरना कहां जाओगे? यह तुम्हारा सुख-दुख नहीं सदा के लिए दुख होगा।

• इतनी धार्मिक संस्थायें हैं, साधू सन्यासी हैं देश में, अगर सब लोग शहरों-शहरों में, गांव-गांव में, जाति-बिरादरी में मानवता का और शाकाहार का बाहरी प्रचार करने लगते तो आज दुनिया का नक्शा कुछ और होता, लेकिन सभी मजहब वालों ने साधू-सन्यासियों ने मानवता के उपदेश बन्द कर दिए। वो भी संघर्ष में लग गये।

• पहले चारों तरफ महात्माओं के सद उपदेश होते रहते थे तो लोग अपनी जगह पर ठीक रहते थे। अब सब खतम हो गया तभी तो लोग तकलीफों में घिर गये, दवा भी नहीं लगती, एक दूसरे को मारने को तैयार खड़े हैं। महात्माओं का प्रचार होता रहता तो जनता अपनी जगह पर ठीक रहती।

• पहले के युग में ऋषि-मुनि महात्मा जगह-जगह घूमकर मानव-मानव को धर्म-कर्म के सन्देश देते रहते थे। लोग उसको मानते थे और धर्म से जुड़े रहते थे। उनकी कमी होने लगी तो विद्वानों ने यह काम शुरू कर दिया। पीढ़ी दर पीढ़ी बहुत दिनों तक ये परम्परा चली। परन्तु कुछ दिनों में वह भी खतम हो गयी। अब जो चाहे सो करे कोई बांधने वाला नहीं।

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने कहा की भारत देश में अवतारी शक्तियों ने जन्म ले लिया है

• देश को सुधारने वाली शक्तियों का अवतार हो गया है और आगे वो आपके सामने आएंगी और परिवर्तन कर देंगी। इसलिए अपने बचाव का रास्ता आपको अभी से निकाल लेना चाहिए।

• मैं आप को यह बता दूं कि इन माताओं के गर्भ से कुछ ऐसे बच्चों का अवतार हो गया है जो आप को सीधा करेंगे। उनका संकेत आपको हर प्रान्तों में मिलेगा। उन बच्चों में कुदरती दैवी शक्ति अभी मौजूद है और वक्त आने पर प्रकट हो जायेगी। उन शक्तियों का पूरा समाज एक पूरी नाटक शाला उतरी हुई है जो यहां काम करेगी। समय की प्रतीक्षा उनको भी है और समय की प्रतीक्षा मुझको भी है। इसलिए होश में आ जाइए। इधर आकर पहले से अपने को सम्भाल लो ताकि उन शक्तियों से टकराव न हो जाए।

• परिवर्तन के लिए महान आत्माओं का एक जत्था पैदा हो गया है। वे योगी, तपस्वी, त्यागी, पवित्र आत्माएं हैं। काम तो वे जरूर करेंगे जब आ गए हैं। पहले सबको बता देना है। पहले भी ॠषियों, मुनियों, महात्माओं ने पहले ही बता दिया था। सबको आवाज लगा दी थी। विश्वामित्र ने राम लक्ष्मण को निकाल लिया था। ऐसे ही मैं भी उन वीरों को निकाल लूंगा। एक आवाज उठेगी कि तुम किधर छिपे हो ? वंशी विगुल बजते ही कुदरती जागृति उनमें आ जाएगी. फिर वे एक बारगी होश में आ जाएंगे।

• औतारी शक्तियों ने जन्म ले लिया है उनका काम है बिगड़ी हुई व्यवस्था को ठीक करना उन्हें वक्त के सन्त सतगुरु के आदेश का इन्तजार है। आदेश मिलने पर वो अपना काम शुरू कर देंगी फिर परिवर्तन हो जायेगा।

• औतारी शक्तियां राम के लोक की, कृष्ण के लोक की, स्वर्ग-बैकुण्ठ लोक की यहां तैयार खड़ी हैं। उनका काम है अधर्मियों का विनाश करके धर्म की स्थापना करना। ये शक्तियां पृथ्वी पर अवतरित सत्तपुरुष के आदेश की प्रतीक्षा कर रही हैं, क्योंकि बिना उनकी मौज के वे कुछ नहीं कर सकतीं। जिस दिन आदेश होगा औतारी शक्तियां परिवर्तन कर देंगी फिर कलयुग बिदा होगा और सतयुग आ जायेग।
• जो औतारी शक्तियां आ चुकी हैं वे पूर्ण शाकाहारी हैं और चरित्रवान हैं। बहुत से बच्चे अपनी शिक्षा समाप्त कर चुके हैं और बहुत से अपनी शिक्षा समाप्त करके विद्यालयों से निकलने वाले हैं। कुछ दिनों में वो महान आत्मा इन बच्चों को संगठित कर लेगी फिर वे बच्चे क्या काम करेंगे यह वक्त बताएगा।

• भारतवर्ष में महान आत्मा का जन्म हो चुका है।

• जब आप ईश्वर के बनाए नियम को नहीं मानते हो नियमों के प्रतिकूल काम करते हो तब काल (निरंजन) भगवान अपने देश में छटनी करा देते हैं। वो किसी न किसी सुरत (आत्मा) को शक्ति को पृथ्वी पर भेजकर ऐसा माहौल पैदा कर देते हैं, मारकाट करवा देते हैं, कुदरती आपदाएं आने लगती हैं फिर छटनी हो जाती है और जो लोग बचते हैं वो धर्म के रास्ते पर चलने लगते हैं।

• जो शक्तियां सुधार के लिए धरती पर भेजी जाती हैं वो आते ही गुनाहों का दण्ड देना नहीं शुरू कर देती हैं। पहले वो अपना संदेश सुनाती हैं, खुदा का पैगाम सुनाती हैं, आपको हर तरह से समझाती हैं मान गए तो ठीक और नहीं तो फिर वो महाभारत करा दें, लंका जला दें कुछ भी करें।

महाभारत पांच हजार वर्ष का ही तो है। इसमें विश्व के सभी योद्धा युद्ध करने आए थे और उनका सफाया हो गया। इतना ही नहीं जो बचे खुचे 56 करोड़ यदुवंशी थे उनका भी सर्वनाश हो गया। इसके पहले कृष्ण भगवान ने सभी को समझाया और उनके समझाने पर जब राजा प्रजा किसी ने नहीं माना तो उन्होंने सबका नाश करा दिया। शक्तियां तो जिसका (निरंजन का) राज्य है उसी का हुक्म बजाती हैं। जब-जब आबादी बढ़ती है तब-तब ये शक्तियां समझा बुझाकर सही रास्ते पर ले आती हैं और अगर नहीं मानते हैं तो उनका संहार कर देती हैं, लेकिन संत महात्मा बार-बार समझाते हैं बचाते हैं। इस वक्त आबादी बहुत बढ़ गई है। यदि संत नहीं होते तो अब तक कुछ का कुछ हो गया होता। संतों की वजह से ही कुछ नहीं हो पा रहा है आपको यह नहीं मालूम. बात नहीं मानोगे तो कोई न कोई घटना होगी ही।

• समय बहुत खराब आ रहा है. तुम इस बात को सोच भी नहीं सकते हो कि क्या हो जाएगा। परमात्मा ने आध्यात्मिक शक्तियों को इस भूमण्ल पर भेज दिया है और वे कृष्ण की तरह, राम की तरह अधर्मियों का खात्मा कर देंगी। इसलिए तुम अभी से सम्भल जाओ. इसी में तुम्हारी भलाई है।

• अब राम और कृष्ण को तीर-धनुष या चक्र सुदर्शन चलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, सबके क्रिया कर्म की तलवार ही सफाया कर देगी फिर परिवर्तन हो जाएगा। बाबा जी सबको समझा रहे हैं, आगाह कर रहे हैं, मार्गदर्शन कर रहे हैं। जो बातों को मानेंगे उनकी रक्षा हो जाएगी, जो नहीं मानेंगे उनके लिए उन्हीं के कर्मों की तलवार उनके सिर पर लटक रही है, कोई क्या कर सकता है।

• वर्तमान समय ऐसा चल रहा है कि किसी का दिल-दिमाग काबू में नहीं है। ऐसे समय में योगी, योगेश्वर, ऋषि, मुनि, देवी-देवता कुछ नहीं कर सकते। अब तो संतों की जरूरत है। वही जीवों की रक्षा कर सकते हैं। सही दिशा दे सकते हैं।
(महाप्रश्न- संत किसको कहते हैं ?)

बाबा जयगुरुदेव जय महाराज ने कहा की सावधान हो जाओ कलयुग जा रहा है और सतयुग आ रहा है

सतयुग का शान्ति का संदेश आवाम जनता को
यदि आप चाहते हैं कि सतयुग का मुझे भी आनन्द मिले तो ध्यान से पढ़िए
1. धर्म पर आ जाइए बहुत भयंकर कोहराम मचने जा रहा है, जो कहा नहीं जा सकता !
2. बुराइयों की तरफ से हाथ जोड़कर, मुंह मोड़ लीजिए ! वरना तुम जानो तुम्हारा काम जाने !
3. अंडा, मांस, मछली, शराब आदि नशीली वस्तुओं का परित्याग कर दीजिए वर्ना चौरासी में जाओगे फिर पछताओगे !
4. रिश्वत लेना पाप है, इसको बन्द कर दीजिए वरना महाबली शासक को एक-एक पाई का हिसाब देना पड़ेगा !
5. माता पिता गुरुजनों का आदर कीजिए वर्ना तुम्हारा अनादर होगा !
6. भारतीय संस्कृति रहन-सहन आचार-विचार सभ्यता अपनाओ वर्ना जो हाल पश्चिमी सभ्यता का होने जा रहा है, वही तुम्हारा होगा !
7. आन्दोलन, तोड़-फोड़, हड़ताल, आगजनी ये देश द्रोहिता के काम हैं ! इससे देश में बहुत भारी नुकसान होता है ! इन सब अमानुषिक कार्यों का भार गरीब किसान मजदूर और मध्य वर्ग पर पड़ता है ! अपने देश को बचाइए और इन कार्यों को एक दम बन्द कर दीजिए ! क्योंकि देश भक्ति से बढ़कर कोई शक्ति नहीं है !
8. दिव्य दयाल पुरुष युग मशीहा महा अवतार (बाबा जयगुरुदेव) की अपील देशवासियों से है कि सतयुग स्वागत की तैयारी में जुट जाएं, अच्छे समाज का निर्माण करें सतयुग शीघ्र बहुत जल्दी आ रहा है !

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का आम जनता को संदेश

प्रभु कहां है, संसार के मनुष्यों को जानकारी कराई जाती है। आप सब सोचो हम कहां से आए हैं और कहां जाएंगे। क्या यह शरीर तुम्हारा है जो घमंड करते हो ? सोचो, जब स्वांस की पूंजी ख़त्म होगी तत्काल शरीर से जीवात्मा को मकान मालिक (काल भगवान) निकाल देगा। धन-दौलत, मकान-जमीन, दोस्त-मित्र, भाई-बंधु, पति-पत्नी यहां छूट जाएंगे। किसके लिए जोड़ रहे हो ? कहां जाओगे, तुम नहीं जानते हो। सुनो, हम आपको बताते हैं। जब तुम पशु-पक्षियों के शरीरों में बंद किए जाओगे, जब नर्कों की आग में जलाए जाओगे, कौन बचाएगा कभी सोचा है ? मांस, मदिरा, अंडा छोड़ो और पशु-पक्षियों की हत्या मत करो, यह पाप कर्म है। यह पाप कर्म काल का कर्जा है जो देना होगा। बीमारी आ रही है, बचो और बचाओ। शाकाहारी रहो। दया करना महापुरुषों से सीखें वर्ना वक्त निकला जा रहा है। अहिंसा राज कायम करो, प्रजा तब सुखी होगी। कुदरत का चक्र चलने जा रहा है, अच्छी नसीहत पकड़ो।

विश्व के लोगों में अर्थ की कमी के कारण व्यापार न चलने से बाजारों में लेन-देन कम से कम होगा। बीमारियों का घोर आक्रमण व्यक्ति व्यक्ति त्रस्त होगा। दवा के लिए धन की कमी से सारे मानव में खलबली मच जाएगी। बीमारियों पर दवा असर नहीं करेगी। राजकोष विश्व में खाली हो जाएगा, आदान-प्रदान ना होने से व्यापार ठप हो जाएगा। आपस का प्रेम भाव खत्म होकर अविश्वास सब में फैल जाएगा तब लोग ईश्वर की तरफ मुड़ेंगे, ब्रह्म विद्या का संदेश अति रुचि के साथ सुनेंगे, आत्मा परमात्मा का दर्शन करने के लिए लालायित हो उठेंगे, महात्मा के अध्यात्मवाद को चाव के साथ सुनेंगे।

कुदरत तैयार खड़ी है कुछ करना चाहती है मगर महात्मा उसको रोके हुए हैं। समय कम रह गया है किसी आध्यात्मिक शक्ति के साथ जुड़ जाइए तो बचाव हो जाएगा। बाबा जी आपसे प्रार्थना ही कर सकते हैं।

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने कहा की अगर आप लोग नहीं मानोगे तो सीधा नरक का दरवाजा तुम्हारे लिए खुला हुआ है

आगे समय खराब आ रहा है तुम्हें पता नहीं है कि क्या होने वाला है। कुदरत बौखलाई हुई है कुछ करना चाहती है किन्तु महात्मा उसे रोके हुए हैं। सोचते हैं कि जीवों को समझा-बुझाकर मना लिया जाये ताकि वे बुराई के रास्ते को छोड़ दें। अगर नहीं मानोगे तो सीधा नरक का दरवाजा तुम्हारे लिए खुला हुआ है। महात्मा बराबर देखते रहते हैं कि जीवों को कितनी यातनायें नर्कों में दी जाती हैं मगर क्या करें केवल समझा ही तो सकते हैं। जीव यदि न माने तो भोगना तो उन्हें ही पड़ेगा।

आबादी बहुत कम हो जायेगी। दस-दस कोस पर चिराग दिखाई देगा। इसलिए यम त्रास से बचने के लिए किसी पूरे गुरू की तलाश करो जो उस परमात्मा से मिला हुआ है, उसके सत्संग में जाओ। सत्संग में तुम्हारे कर्मों की मैल धुल जायेगी और जीवात्मा की आंख (दिव्य नेत्र) जब खुलेगी तब वो प्रकाश में खड़ी हो जायेगी उसे आत्म दर्शन होगा और वह अपना चेतन स्वरूप देखेगी। इस जीवात्मा में जो दोनों आंखों के बीच में बैठी है जब उसकी दिव्य आंख खुलती है तो उसमें इतना प्रकाश है इतनी रोशनी है कि उसके आगे इस सूर्य का प्रकाश कुछ भी नहीं है। जब इस जड़ शरीर से अलग होकर अपने घोसले को वो देखता है तब उसे ज्ञान होता है कि मैं आत्मा (रूह) हूं चेतन हूं परम प्रकाशवान हूं और मेरी वही जाति है जो परमात्मा की है। दोनों आंखों के पीछे जीवात्मा का घाट है जहां कर्मों की धुलाई होती है। वहीं हरिद्वार है जहां से स्वर्ग को बैकुण्ठ को रास्ता जाता है। इसलिए जीते जी मरना सीखो तब तुम हमेशा के लिए सुखी हो जाओगे हमेशा के लिए जिन्दगी मिल जायेगी। कबीर साहब ने कहा है कि : जा मरने से जग डरे, मेरे मन आनन्द। मरने ही ते पाइए, पूरन परमानन्द.

​बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने कहा की जब तुम्हें नर्कों में ले जाकर यमदूत पहुंचायेंगे तो तुम्हारा क्या हाल करेंगे तुम्हीं जानोगे

मानव जाति के मनुष्यों ! परमात्मा ने तुम पर अति कृपा की है मानव शरीर किराये का मकान है। अन्धे बनकर इन्द्रिय भोग के लिए कितनी अटूट मेहनत करते हो। अन्त में शक्ति क्षीण होने पर बच्चे, स्त्री, परिवार सभी जवाब देंगे। उस दिन घुल-घुलकर तुम्हें पछताना होगा अभी शान-शेखियों में उम्र गुजार रहे हो मांस, मछली, अन्य जीव हिन्सा करके बड़े खुश होते हो और शराब, ताड़ी पीकर बौराते हो, पर नहीं जानते हो कि तुम्हारी भी हिन्सा होगी। वह दिन कैसा होगा जब तुम्हें मालूम होगा- जब तुम्हें नर्कों में ले जाकर यमदूत पहुंचायेंगे तो तुम्हारा क्या हाल करेंगे तुम्हीं जानोगे। अभी तो महापुरूष तुम्हें पुकारते हैं और समझा रहे हैं। आखिर चालीस-साठ वर्ष ही तो रहना है। अफीम, ताड़ी, शराब से बुद्धी भ्रष्ट होगी। रिश्वत के हाल को तुम जानते नहीं। जिस तरह दूसरों का खून चूसते हो उसी तरह तुम्हारा खून मय ब्याज के चूसा जायेगा। जिस तरह दिल दुखाकर लेते हो उसी तरह दिल दुखाकर देना होगा। महान आत्माओं ने दया की और समझाया कि मनुष्य शरीर इसलिए भिन्न है कि ‘भगवान तक जीवात्मा (सुरत) को पहुंचा दो मरने के पहले।’ सत्संग में आओ, भगवान के पाने का मार्ग मिलेगा। यही कमाई अन्त में साथ देगी। बाकी सब धन-दौलत पड़ा रहेगा। शरीर तुम्हारा नहीं वो जला दिया जायेगा।

​बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने कहा की शराब और मांस के हट जाने से संसार में आधा पाप कर्म रूक जायेगा

• हुकूमत करने वालों से हमारी अपील है कि धर्म के प्रचार का प्रोत्साहन ज्यादा करें और शराब, मांस इस देश से हटा दें। शराब और मांस के हट जाने से संसार में आधा पाप कर्म रूक जायेगा।

भारत के कितने करोड़ आदमियों का मैंने शराब छुड़ा दिया, मांस, मछली और अण्डे का सेवन करना छुड़ा दिया। एक दिन आ रहा है कि सब लोग महात्माओं की पुकार करने लगेंगे।

• मेरे कहने से देशवासियों ने शराब पीना छोड़ दिया तो पचास फीसदी क्राइम खत्म, दुराचार खत्म, हत्या, लूट-पाट खत्म। यह एक न एक दिन आपको छोड़ना ही पड़ेगा। कब छोड़ना पड़ेगा? उसको सुन लीजिए। ऐसा कुदरत का झटका लगेगा कि फट उलट जाओगे एक दम चित गिरोगे तब बाबा जी की बातें याद आयेंगी कि बाबा जी ने कहा था।
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​भविष्य की झलक
कहें जयगुरुदेव पुकार जमाना बदलेगा ।
सुनते जाना सभी नर व नारी जमाना बदलेगा ।। 1।।
छोटे -बड़े जितने पद अधिकारी, सब कोई होंगे शाकाहारी ।
बन्द हो जायेगा मांसाहार जमाना बदलेगा ।। 2 ।।
मांस मछली अण्डा जो सेवन करेंगे ताड़ी शराब भांग गांजा पियेंगे ।
उनका पद छीन लेगी सरकार जमाना बदलेगा ।। 3।।
एम. पी. एम. एल. ए. और मंत्री मिनिस्टर सभी होंगे शाकाहारी कट्टर।
बन्द होगा सभी दुराचार जमाना बदलेगा ।। 4 ।।
विदेशी बैंक में जो धन है छिपाये, वापस छिहतत्तर सन् तक लायें ।
नहीं पछतायेंगे सिर मार जमाना बदलेगा ।। 5 ।।
बन्द हो हड़ताल तोड़फोड़ आन्दोलन बन्द हो जाये परिवार नियोजन ।
बदल जायेंगे सभी कारोबार जमाना बदलेगा ।। 6 ।।
नग्न सिनेमे बन्द किये जायेंगे पुलिस सिपाही वेतन तीन सौ पायेंगे ।
सभी बन्द हो चोरी व व्वभिचार जमाना बदलेगा ।। 7 ।।
दिल्ली से राजधानी हटेगी यू.एन.ओ. भारत में चलेगी ।
निर्णय लेने आयेगा संसार जमाना बदलेगा ।। 8 ।।
राष्ट्रभाषा होगी संस्कृत और हिन्दी रिश्वतखोरी पै लग जायेगी पाबंदी ।
फैल जायेगा सबमें सदाचार जमाना बदलेगा ।। 9 ।।
कृषकों के कर्ज सभी माफ हो जायेंगे पराइमरी अध्यापक वेतन तीन सौ पायेंगे ।
होगा बच्चों में भारी सुधार जमाना बदलेगा ।। 10 ।।
बन्द हो जायेगा गउओं का कटना कोई नहीं होगी अनैतिक घटना ।
मांस मदिरा का बन्द हो बाजार जमाना बदलेगा ।। 11 ।।
कालेज से निकल छात्र नौकरी पायेंगे वृद्ध व अपाहिज पैसे राजकोश से खायेंगे ।
खुशी होगा सभी परिवार जमाना बदलेगा ।। 12 ।।
आठ रूपये रोज मजदूरी मिलेगी राष्ट्रपति चुनाव सीधे जनता करेगी ।
जो की हैं देश के कर्णधार जमाना बदलेगा ।। 13 ।।
प्रेम और अहिंसा की होड़ लग जायेगी चोरी लगी झूठ की निशानी मिट जायेगी ।
सब होंगे पूर्ण निरामिषहार जमाना बदलेगा ।। 14।।
साधन भजन की सब करेंगे कमाई मांसाहारियों की होगी सफाई ।