नर्कों और चौरासी के तकलीफों के बाद यह मनुष्य शरीर दिया है।
परमात्मा ने महात्माओं को भेजा और कहा कि तुम जाकर दुनियां में लोगों को बताओ कि नर्कों और चौरासी के तकलीफों के बाद यह मनुष्य शरीर दिया है। इस शरीर में ऊपर जाने का एक दरवाजा है और पास पहुंचा दो मगर यह काम तो तुमने किया नहीं और हाय-हाय करने लगे, माया की छाया को देखकर उसमें फस गये अब तुम्हारा निकलना बडा मुश्किल है।
सन् 970 में चार करोड़ पर्चे भारत में बांटे गये जिनमें लिखा था कि वर्षा बहुत होगी, मुसलमान मुसलमान आपस में लड़ेगें। मैंने लोगों से कहा कि इन पर्चो को-गीता रामायण में रखना या दीवालों पर बंगला देश में फिर बवाल मचेगा और भारी नरसंहार होगा। देश में फिर बवाल मचेगा और उसके बाद वह भी खत्म होकर भारतवर्ष में मिल जाएगा। आप लोग मेरी बातों को सुन लो और जब हो जाये तब मान लेना।
जय गुरु देव
यह मैटर अतीत के आईने में किताब से लिया गया है
This human body has been given to me after suffering through hells and eighty-four times.
God sent the Mahatmas and said that you go and tell the people in the world that after the troubles of hells and eighty-four times, you have given this human body. There is a door in this body to go up and reach closer, but you did not do this work and started wailing, seeing the shadow of Maya, you got trapped in it, now it is very difficult for you to get out.
In 970, four crore pamphlets were distributed in India in which it was written that there would be a lot of rain and Muslims would fight among themselves. I told the people that keeping these pamphlets in Geeta, Ramayana or on the walls will again create chaos in Bangladesh and there will be massive massacre. There will be chaos in the country again and after that that too will end and merge with India. You guys listen to what I say and accept it when it is done.
Jai Gurudev
This Matter is taken from the book In the Mirror of the Past
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