गुरु मिले अगम के वासी ।
सतगुरु मिले अगम के वासी।
स्वामी मिले अगम के वासी ।।
जन्म जन्म के भरम मिटाए,
छूट गई जम फांसी ।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।
कर सत्संग सार रस पाया,
काट दई चौरासी।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।
दया करी सुरत चढ़ी गगन पर,
पाया पद अविनाशी ।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।
अमरलोक में वासा कीन्हा,
नित खेलूं पिव पासी।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।
अलख अगम के पार सिधारी,
राधास्वामी धाम निवासी।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।
दयाल निहाल करो गुरु मेरे,
मैं उनकी निज दासी।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।
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