जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

हार गई मैं चलते-चलते, विरह कि मार्ग अति दुखदाई

haar gaee main chalate chalate, virah ki marg ati dukhadae

हार गई मैं चलते-चलते, विरह कि मार्ग अति दुखदाई

एक पग-एक पग ढुलते-मूलते, ओर न छोर है इसका मिलते

क्षाँव नहीं कही धूप कड़क है, पतक्षड-पतक्षड सुखी हैं डालियाँ

पंक्षी है सुना वीरान गलियां, कैसे चलूँ अब प्यासी हैं अंखियाँ

काल सुनो हे कलिकाल हे भाई, एक अरज अब तुमसे आई

ऐसा कोई अब प्रयोजन कर दो, मृत्यु शैया पे मैं लेट जाऊं

नाम का सुमिरन करते दाता, वचन निभाते प्रेम विधाता

दरश को पाती हे सुख-सावन, लगन-यूगन कि प्यासी हैं अंखियाँ

एक दरश को सतगुरु झांकियाँ, आवे क्यों नही घट मोरे बसियाँ