जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

सतगुरु सत्संग जो, सुनि मनि धारा, अलख अगम का भेद बिचारा

sataguru satsang jo suni mani dhaara alakh agam ka bhed bichaara

सतगुरु सत्संग जो, सुनि मनि धारा।
अलख अगम का भेद बिचारा।
सत-सत संतो सतगुरु नामी।
संत अनाम नाम सतनामी।
महिमा मौज विचार शब्द उचारा।
तीन धाम का कियों पसारा।
अगम, अलख, सतनाम बनायो।
मौज अनाम की ऐसी आयो।
शब्द शिखर एक लड़ी निकारी।
झंझरी दीप महिमा रच डारी।
ता पर पुरुष निरंजन आए।
अखंड तपस्या मन में धारी।
खुश हो सतगुरु पुरुष अनामी।
एवमस्त वरदान लासानी।
मांगेउ राज दीप एक खानी।
सुरत मसाला सुंदर नामी।
झंझरी द्वीप आय समानी।
तीन लोक की महिमा ठानी।
आद्या आदेश दिया फ़रमाई।
तीन लोक की देवी माई।
देखो काज यही त्रिलोक।
भजन करूं अनाम मन मोरा।
खुश हो माया मन महरानी।
तीन लोक झंडा लहरानी।
ब्रह्मा, विष्णु, शिव त्रिलोका।
भई स्वच्छंद मिटे सब सोका।
तीनो देवों को काज बताएं।
अपने मन तीनों हर्षाए।
लेखन नाम ब्रह्मा जानी।
पालनहार विष्णुहीं मानी।
प्रलय कार्य शिवय सिर धारा।
ऐसा मन में काज बिचारा।
आवे सुरत अधर में जावे।
नाम शब्द की महिमा गावे।
उजल, धवल शब्द के स्वामी।
पकड़ी डोर है पुरुष अनामी।
शंका दिल गई समाई।
कर्म विधान निरंजन बनाई।
कर्मकांड का लगा विधान।
फसन लगे जीव जम जाना।
शब्द डोर जीवों से छूटी।
मुक्ति पद से आशा टूटी।
लख चौरासी भया घमासाना।
जीवो में कोहराम समाना।
दशा देख जीव दुखदाई।
मौज अनाम ऐसी बनाई।
संत रूप धर धरा पर आए।
नाम शब्द गुहार लगाये।
जीवो को बहु विधि समझावे।
नाम शब्द की राह बतावे।
कितने जनम सतगुरु समझाये।
तबहु भरम मन से न जाए।
अब सतगुरु है मौज बिचारी।
एक नाम जीव उद्घारी।
सतगुरु जयगुरुदेव है नामा।
अंतर भजन रूप परमाना।
सतगुरु जयगुरुदेव जपै जो जीवा।
पावै मुक्ति पद अरू पीवा।
नाम अनाम अंतर आदेश।
करो भजन सब कटे कलेश।
सुमिर सुमिर सतगुरु कर नामा।
पहुंचो अपने देश अनामा।