जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

तुम न आये गुरुजी, सुबह हो गई। मेरी पूजा की थाली सजी रह गई।।

Tum Na Aye Guruji Subah Ho Gai Meri Puja Ki Thali Saji Rah Gayi

तुम न आये गुरुजी, सुबह हो गई।
मेरी पूजा की थाली सजी रह गई।।

भोग रक्खा रहा, फूल मुरझा गए।
आरती थी जली की जली रह गई।।
क्या बुलाने में कोई कमी रह गई।
तुम न आये गुरुजी सुबह हो गई।।

हमसे रूठे हो क्यों, आप आते नहीं।
कोई अपराध मेरा, बताते नहीं।।
टेरते-टेरते सांस रुकने लगी,
तुम न आये गुरुजी सुबह हो गई।।

हाल बेहाल है अब तो आओ गुरु।
मन में मनको की माला पहनाओ गुरू।।
वरना ये दाना दाना विखर जाएगा।
टूटकर मोतियों की लड़ी रह गई।
तुम न आये गुरुजी सुबह हो गई।।

ज्ञान भी हो गया ध्यान भी हो गया।
फिर भी दर्शन की इच्छा बनी रह गई।।
इतना होते हुए मैं समझ न सकी।
कौनसी भावना में कमी रह गई।।
तुम न आये गुरुजी सुबह हो गई।।

मैने रो-रो के तुमको पुकारा गुरु।
तुम हो दाता मेरे मैं भिखारन तेरी।।
तेरी मूरत को मन मे बसाये हूँ।
तेरे दर पे खड़ी की खड़ी रह गई।।
तुम न आये गुरुजी सुबह हो गई।।

अपनी दासी को दर्शन दिखा दो गुरु।
सामने आ कर फिर से मुस्कुरा दो गुरु।।
राह कब से निहारूँ तुम्हारी गुरु।
अब लगी आँसुओं की झड़ी रह गई।।
तुम न आये गुरुजी सुबह हो गई।।