आया शरण तुम्हारी गुरु पार कीजिये,
अब तक किए जो पाप उन्हें माफ कीजिये।
तुम बिन न इस जहान में आता है कुछ नजर।
दुनिया है छल फरेब की मिलती नहीं डगर।
किस्मत से आप मिल ही गये, उद्धार कीजिए।।
मतलब की है दुनिया, कोई अपना है नहीं।
जाना है खाली हाथ संग जाएगा कुछ नहीं।
कामादि दुश्मनों को स्वामी मार दीजिए।।
साधन भजन बड़ा दो गुरु विनती कर रहा।
मन काबू में है नहीं मेरे धोखा दे रहा।
चाहूं दया तुम्हारी, मुझे पार कीजिए।।
आया शरण तुम्हारी गुरु पार कीजिये,
अब तक किए जो पाप उन्हें माफ कीजिये।।
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