आधी रात ढली जीवन की होगा अभी सवेर रे, आजा बंदे गुरु शरण में काहे करता देर रे ।।
चार दिनों का जीवन तेरा, दुनिया चलती चाकी रे,।
पिस रहे हैं सभी इसी में, कौन बचा यहां बाकी रे ।।
अगर कहीं बचना चाहो तो- गुरु की माला फेर रे।
आ जा बन्दे गुरु शरण में, काहे करता देर रे ।।
आत्मशांति का सच्चा पथ तू, और कहीं नहीं पाएगा।
लाखों जन्म गवा कर प्राणी, आखिर पथ पर आएगा।।
पढ़ा रहा धन माल यहीं पर खाली गए कुबेर रे ।
आजा बंदे गुरु शरण में, काहे करता देर रे ।।
माता बहनों सीता बनकर, इस धरती पर रहना है।
ध्रुव और प्रहलाद बनाकर, गंगा बनकर बहना है ।
मालिक के घर देर भले हो, लेकिन नहीं अंधेर रे।
आ जा बन्दे गुरु शरण में, काहे करता देर रे ।।
दिन भर काम करो जीवन का फिर सत्संग में आओ रे।
मन मेल विकार हटाकर, आवागमन छुड़ाओ रे।।
दास कहे निशदिन गाए जा, जय गुरुदेव नाम की टेर रे।
आ जा बन्दे गुरु शरण में, काहे करता देर रे ।।
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