जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

धाम अपने चलो भाई पराये देश क्यों रहना।।

Dham Apne Chalo Bhai Praye Desh Kyo Rahna

धाम अपने चलो भाई। पराये देश क्यों रहना।।

काम अपना करो जाई। पराये काम नहिं फसना।।

नाम गुरु का सम्हाले चल। यही है दाम गठ बंधना।।

जगत का रंग सब मैला। धुला ले मान यह कहना।।

भोग संसार कोई दिन के। सहज में त्यागते चलना।।

सरन सतगुरु गहो दृढ़ कर। करो यह काज पिल रहना।।

सुरत मन थाम अब घट में। पकड़ धुन ध्यान घर गगना।।

फंसे तुम जाल में भारी। बिना इस जुक्ति नहीं खुलना।।

गुरु अब दया कर कहते। मान यह बात चित धरना।।

भटक में क्यों उमर खोते। कहीं नहिं ठीक तुम लगना।।

बसो तुम आय नैनन में। सिमट कर एक यहां होना।।

दुई यहां दूर हो जावे। दृष्टि ज्योति में धरना।

श्याम तजि सेत को गहना। सुरत को तान धुन सुनना।।

बंक के द्वार धंस बैठो। तिरकुटी जाय कर लेना।।

सुन्न चढ़ जा धसो भाई। सुरत से मानसर न्हाना।।

महासुन चैक अंधियारा। वहां से जा गुफा बसना।।
लोक चैथे चलो सज के। गहो वहां जाय धुन बीना।।
अलख और अगम के पारा। अजब एक महल दिखलाना।।
वहीं जाय स्वामी से मिलना। हुआ मन आज अति मगना।।