जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

उठ जाग मुसाफिर भोर भई, क्यों मोह निशा में सोवत है।

Uth Jag Musafir Bhor Bayi Kyo Moh Nisha Me Sovat Hai

उठ जाग मुसाफिर भोर भई, क्यों मोह निशा में सोवत है।

जो सोवत है वह खोवत है, जो जागत है वो पावत है।

तू नींद से अंखियां खोल जरा, गुरुदेव से अपने नेह लगा।

यह प्रीत करन की रीति नहीं, गुरु जागत हैं तू सोवत है।

अनमोल मिला यह तन, गिन कर स्वांसों की पूंजी पाया।

इसमें कुछ कार्य करो अपना तू व्यर्थ समय क्यों खोवत है।

उत देख समाधि गुरु की टूटी, भक्तों ने दर्शन पायां।

तू आलस में क्यों पड़ा हुआ अपने हित की नहीं सोचत है।

बालापन तरुण अवस्थायंे, तू गफलत में बर्बाद किया।

सुध आज नहीं यदि करता है, तो नाव तुम्हारी डूबत है।

गुरु जयगुरुदेव जगाय रहे प्यारे उठ कार्य करो अपना।

यदि आज न काज किया अपना, फिर कर्मभार सिर ढोवत है।