एक बार भजन कर ले मुक्ति का जतन कर ले, कट जायेगी चौरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।१।।
यह नर तन का चोला हर बार नही मिलता, डाली से जो गिर जाये वो फूल नही खिलता ।
मौका यह मिला है गुलजार चमन कर ले, कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।२।।
युग बीत गये कितने हुई कितनी बड़ी हानि, मन अर्पण कर प्रभु को छूटेगी मनमानी ।
सुख मय होगा जीवन पर पहले नमन करले, कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।३।।
मस्तानों की टोली मे तू नाम लिखा अपना, फिर साफ नजर आये दुनिया है एक सपना ।
सत्संग की गंगा मे आकर मज्जन करले, कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।४।।
सन्तों ने जो गाया है हृदय मे उतारो तुम, कुछ सेवा व्रत लेकर जीवन को सवारों तुम ।
गुरु आज्ञा जो माने जीवन को सफल करले, कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।५।।
इन कानों से सुन बन्दे तू सन्तो की वाणी, इस मन को ठहरा कर बन जा ज्ञानी और ध्यानी ।
तेरी जीभ हिले न मुख मे तू ऐसी रटन कर ले, कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।६।।
जब माँ के गर्भ मे था छाया था अँधियारा, प्रभु बाहर करो मेरे मै भजन करूँगा तुम्हारा ।
उन गर्भ के वादों को मत भूल याद कर ले, कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।७।।
जब समय निकल जायेगा पछतायेगा बन्दे, अब आजा शरण गुरु की दे काम छोड़ गन्दे ।
सतगुरु के चरणों मे तू गर्दन नीची कर ले, कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।८।।
एक बार भजन करले मुक्ति का जतन करले, कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।९।।
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