जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

गुरूदेव तुम्हारे चरणों में, सतकोटि प्रणाम हमारा है।

GuruDev Thumhare Charno Me Satkoti Pranam Hamara Hai

गुरूदेव तुम्हारे चरणों में, सतकोटि प्रणाम हमारा है।

मेरी नैया पार लगा देना, कितनों को पार उतारा है।

मैं बालक अबुध तुम्हारा हूॅं, तुम समरथ पिता हमारे हो।

मुझे अपनी गोद बिठा लेना, दाता लो भुजा पसारा है।

यद्यपि संसारी ज्वालायें, हम पर प्रहार कर जाती हैं।

पर शीतल करती रहती है, तेरी शीतल अमृत धारा है।।

जब आंधी हमें हिला देती, ठंडी जब हमें कंपा देती।

मुस्कान तुम्हारे अधरों की, दे जाती हमें सहारा है।।

कुछ भुजा उठाकर कहते हो, कुछ महामंत्र सा पढ़ते हो।

गद्-गद् हो जाता हूं भगवन, मिल जाता बड़ा सहारा है।

इस मूर्ति माधुरी की झांकी, यदि सदा मिला करती स्वामी।

सौभाग्य समझते हम अपना, कौतूहल एक तुम्हारा है।।

मैं बारम्बार प्रणाम करूॅं, चरणों में शीश झुकाता हूॅं।

अब पार अवश्य हो जाउंगा, तुमने पतवार संभाला है।।