निज चरणों का दरश करा दो गुरु, मुझे प्रेम दिवानी बना दो गुरु
जगत जाल से दूर हटा कर, मुझे शीशे में रूप दिखा दो गुरु
कुल कुटुम्ब से दूर हटा कर, मुझे सहस कंवल दिखला दो गुरु
घंट शंख सुना कर मुझको, त्रिकुटी धाम बता दो गुरु।
गगन शिखर का दरश करा कर, मुझे दसवां द्वार लखा दो गुरु।
मानसरोवर कर्म धुला कर, मुझे हंस स्वरूप बना दो गुरु।
महासुन्न होय भंवर गुफा में, मेरे काल के जाल तुड़ा दो गुरु।
सतलोक सतपुरुष दिखाकर, मुझे बीन की तान सुना दो गुरु।
अलख अगम का भेद बताकर, मुझे राधास्वामी गोद बिठा दो।
|