मेरे सतगुरू मुझ पर, कृपा कब करोगे।
हाले दिल से वाकिफ, दया कब करोगे।।
मेरे ही कर्मों से, पीड़ित हैं प्रभुवर।
समझ ना सकूँगा, दयालु हैं रहवर।।
दर्दे दिल से मुझ को, जुदा कब करोगे।। मेरे....
अक्स है स्वामी का, हममें उजागर।
दया मई किरन का, है खेल नरवर।।
मतलब की हद से अलग कब करोगे।। मेरे...
तेरी दिव्यता से है, अनंत प्रकासित।
तेरी गन्ध से है, चराचर सुभाषित।।
अँधेरे में गुम अर्ज पे, नजर कब करोगे।। मेरे....
कोटि विप्र बधिकों को, बक्सा है दाना।
रखी ‘नाम’ की लाज, जानत जहाना।।
सुमेरों में दबी आह पे, श्रवण कब करोगे।। मेरे..
दुन्दुभि सुनि मेरी ताला दे भाजत नरका।
सकल पापी किनका, है दरिन्दा जगत का।।
पापियों के नृपति पर, मेहर कब करोगे।। मेरे...
खाली दरबार से कभी, गया ना सवाली।
महफिल की रौनक, काविज है आली।।
नाजुक कली की कभी पीर सुन सकोगे।। मेरे...
जयगुरूदेव के मर्तबे का दूजा शानी।
अनन्तों भुवन में, दूजा ना जानी।।
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