होते हैं जो गुरु के दीवाने, वे मौज निहारा करते हैं ।
गुरु का आदेश बजाने में, तन-मन-धन वारा करते हैं ।।
हर वक्त मसलहत पर चलना, आदेशों पर मरना मिटना ।
मंजिल पर आँखें मूँद चलें, वे कुछ न विचारा करते हैं ।।
पपीहा की तरह टेरा करते, पिछली करनी पर रोते हैं ।
माफी के लिए उल्फत दिल में, तस्वीर उतारा करते हैं ।।
जो भी बद-नेक करम फल सब, गुरु को अर्पित कर देते हैं ।
जो सैन-बैन में मिल जाए, पावन आशीष समझते हैं ।
जिस ओर इशारा हो जाए, बेखौफ सिधारा करते हैं ।।
जिसने यह बाट पकड़ ली है, वे दिल में इरादे रखते हैं ।
दुनिया उल्टी हो जाय भले, न प्यार नकारा करते हैं ।।
आदेश अमल करने वालों का, कुछ न बिगड़ता बनता है ।
गुरुदेव कृपा कर कमलों से, प्रेमी को सहारा करते हैं ।।
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