शरणागत हैं हम दीन हैं, प्रभु आये द्वार तुम्हारे ।
हम ऐसे वैसे जैसे भी हैं, बालक नाथ तुम्हारे ।। 1 ।।
गुणधारी हो गुणहीन हैं हम, प्रभु तू अन्तर्यामी ।
अनजान हैं हम पल की न जानें, तूँ घट घट की जानी ।
हाथ पकड़ि प्रभु राह दिखाओ, हम राही पर हारे ।। 2 ।।
स्वांस स्वांस हम भूल करें, प्रभु पल पल गिरते जाऊं ।
एक पग आगे दो पग पीछे, तुम तक कैसे मैं आऊं ।
गिरते का प्रभु कौन सहाई, तुम बिन कौन सम्हारे ।। 3 ।।
चरनन लगे प्रेम की डोरी, नाम के बल जो बुलाये ।
भक्तन के भगवान कन्हैया, दास बने हरि आये ।
ज्ञान, मान, बुद्धि, बल नहीं मागू, मांगू दरस तिहारे ।। 4 ।।
शरणागत हैं हम दीन हैं, प्रभु आये द्वार तुम्हारे ।
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