जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जायेगा

kya lekar tu aaya jag mein, kya lekar tu jayega

क्या लेकर तू आया जग में,
क्या लेकर तू जायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आखिर में पछतायेगा।।

इस दुनिया के ठाट बाट में,
क्यों बन्दे तू भूला है।
धन, सम्पत्ति, मान, प्रतिष्ठा,
पाकर क्यों तू फूला है।

धन सम्पत्ति माल खजाना,
यहीं पड़ा हैं रह जायेगा,
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आखिर में पछतायेगा।।

भाई बन्धु मित्र प्यारे,
मरघट तक संग जायेंगे।
स्वारथ के दो आंसू देकर,
लौट लौट घर आयेंगे।

कोई न तेरे साथ चलेगा,
काल तुझे ही खायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आखिर में पछतायेगा।।

कंचन जैसी काया तेरी,
तुरन्त जलाई जायेगी।
जिस नारी से स्नेह करे तू,
वो भी देख डर जायेगी।।

एक मास तक याद रखेगी,
फिर तू याद न आयेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आखिर में पछतायेगा।।

राजा रंक पुजारी पण्डित,
सबको एक दिन जाना है।
आंख खोलकर देख बावरे,
जगत मुसाफिर खाना है।।

जयगुरुदेव नाम ही आखिर,
तेरा साथ निभायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आखिर में पछतायेगा।।

क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछतायेगा।।
 
क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जायेगा (kya lekar tu aaya jag mein, kya lekar tu jayega)